चतुर्मुखी जैन मंदिर – 1444 खंभों पर टिका हुआ है ये अद्भुत प्राचीन मंदिर
हमारे भारत में विभिन्न जाती-प्रजाति के लोग एक ही धरती पर मिलजुल के अपना जीवन व्यतीत करते है और अपने-अपने धर्मों का पालन भी करते है| देश में कई ऐसे प्राचीन मंदिर-मस्जिद-गुरूद्वारे और चर्च है, जिनकी बनावट और कलाकृति देखकर आज भी लोग दंग रह जाते है| आज हम आपको ऐसे ही एक प्राचीन चतुर्मुखी जैन मंदिर के बारे में बताने जा रहे है, जो सच में अद्भुत है|

आचार्य श्यामसुन्दरजी, धरन शाह, कुम्भा राणा और देपा नामक ४ श्रद्धालुओं ने इस मंदिर निर्माण कराया था। आचार्य श्यामसुंदर एक धार्मिक नेता थे जबकि कुम्भा राणा मलगढ़ के राजा और धरन शाह उनके मंत्री थे। धरन शाह ने धार्मिक प्रवित्तियों से प्रेरित होकर भगवान ऋषभदेव का मंदिर बनवाने का निर्णय लिया था।

इस मंदिर का निर्माण 15 वीं शताब्दी में राणा कुंभा के शासनकाल में हुआ था| राणा कुंभा के ही नाम पर इस जगह का नाम रणकपुर पड़ा था| बेहद ख़ूबसूरती से तराशे गए इस मदिर की बात ही निराली है, जिसे देखने का सुख आँखों को प्रतीत होता है|
पहाड़ों पर लटका हुआ है १५०० साल पुराना यह मंदिर
इस मंदिर के अंदर जाते ही इन हजारों खंभों पर नक्काशी देखने में बेहद ही खूबसूरत दिखाई पड़ती है और ख़ास बात यह है कि मंदिर के किसी भी खंभे से जहां से भी नज़र जायेगी आपको मुख्य मूर्ति के दर्शन मिल जाएंगे| इतना ही नहीं इसके अलावा मंदिर में कई तहखानों को भी बनवाया गया है, ताकि संकट के समय तहखानों में पवित्र मूर्तियों को सुरक्षित रखा जा सके|
जैन धर्म के पांच प्रमुख मंदिरों में से एक ये मंदिर है| इसके मुख्य गृह में तीर्थकर आदिनाथ की संगमरमर की बनी चार मूर्तियां भी है| इस मंदिर में 76 छोटे गुम्बदनुमा पवित्र स्थान, चार बड़े प्राथना कक्ष और चार बड़े पूजन स्थल भी है| इस मंदिर की खूबसूरत नक्काशी और कलाकृति को देखने दूर-दूर से कई पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता है|

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