हम बात कर रहे है नॉर्वे देश के पहाड़ों में स्थित एक छोटे से गाँव रजुकन की। करीब ३५०० से भी ज्यादा परिवारों वाला यह गाँव चारो और से पहाड़ों से घिरा है। साल के १२ महीनो में से ६ महीने जब यहाँ सर्दिया शुरू होती है, तब इस गाँव में सूरज की रोशनी नहीं पहुँचती।
इस बारे में १९ वी शताब्ती में एक इंडस्ट्रियलिस्ट सैम इयदे ने सूरज की रोशनी गाँव तक पहुँचाने के बारे में सोचा, मगर उस समय तकनिकी तौर पर यह करना संभव नहीं था। फिर उसने केबल कार का निर्माण किया, जिससे गांववालो विटामिन डी के लिए कुछ ही घंटों में पहाड़ पर ले जाया जाता था।
सूरज की रोशनी गाँव तक पहुँचाने की इस सोच को अंजाम दिया मार्टिन एंडरसन नामक एक व्यक्ति ने, जिसमे $८४९,००० की लागत आयी, जिसके चलते १८३ स्क्वायर फुट के ३ बड़े शीशे पहाड़ के ४३७ यार्ड की ऊचाईं पर लगाये गये, जो कम्प्यूटर्स की मदद से चलाये जाते है।
यह शीशा ६४५९ स्क्वायर फुट के जगह तक सूरज की रोशनी गाँव तक पहुँचता है। इस नकली सूरज की वजह से अब यह गाँव भी पर्यटकों के लिए ख़ास बन गया है।