‘हरियाणा’ के ‘महेंद्रगढ़’ में ‘डेरोली अहीर’ नामक जगह है जहाँ ‘संतलालजी’ रहते है| इनको इस गाँव के लोग ‘मौसम विभाग’ के नाम से बुलाते है| जिसका कारण इनका मौसम के विपरीत पेश आना है या फिर ऐसा कहें की इनका शरीर मौसम के विपरीत काम करता है|
संतलाल को गर्मी में सर्दी और सर्दी में गर्मी लगती है| मतलब, जब गर्मी का मौसम हो तो संतलाल को ठंडी लगती है, जिसके लिए वह अंगीठी जलाकर और ढेर सारी रजाई ओढ़ कर बैठ जाता है| जहाँ सुबह के १० बजे नहीं, ये अंगीठी जलाकर बैठ जाते है|
इसी तरह जब कड़ाके की सर्दी होती है तो संतलाल बर्फ की सील पर सोता है और ढेर सारी बर्फ खता है और यदि वो ऐसा न करें तो एक नशेड़ी इंसान को अगर तलब लगे तो वो किस तरह तड़पने लगता है, कुछ वैसी ही हालत इनकी हो जाती है|
भरी सर्दी के मौसम में नहर – नदी में जाकर कम से कम तीन बार नहाना पड़ता है| संतलाल का खुद कहना है कि गर्मी में अगर उन्हें रजाई और अंगीठी न मिले तो उसका शरीर ठण्ड के मारे कांपने लगता है|
वहां के ‘डिप्टी सीएमओ’ डॉक्टर ‘अशोक कुमार’ का कहना है इन्हें एक दिमागी बीमारी है जिसमे दिमाग में स्थित ‘थर्मोरेगुलेटरी पॉइंट’ जिसे ‘थैलेमस’ और ‘हाइपो थैलेमस’ कण्ट्रोल करते है| इससे संबधित किसी बीमारी की वजह से संतलाल ऐसा करते है|
संतलाल के लिए तो अब यह एक आम दिनचर्या हो गयी है जिसका इनके घरवालों पर भी अब कोई असर नहीं होता| इनके इस शारीरिक मौसम के बदलाव की खबर तो लंदन तक मशहूर हो गयी है जिस पर शोध चल रही है|