इस मंदिर में कुछ विषेशताओं में से एक विशेषता इसका विशाल शिवलिंग है जो कि विश्व का एक ही पत्थर से निर्मित सबसे बड़ा शिवलिंग है| इस शिवलिंग की लम्बाई ५.५ मीटर यानी १८ फ़ीट, व्यास २.३ मीटर यानी ७.५ फ़ीट और केवल लिंग की लम्बाई ३.८५ मीटर यानी १२ फ़ीट है|
भोजेश्वर मंदिर के पीछे के भाग में एक ढलान बनी हुई है जिसका उपयोग निर्माणाधीन मंदिर के समय विशाल पत्थरों को ढोने के लिए किया गया था| पूरे विश्व में कहीं भी अवयवों को संरचना के ऊपर तक पहुँचाने के लिए ऐसी प्राचीन भव्य निर्माण तकनीक उपलब्ध नहीं है| ये एक प्रमाण के तौर पर है, जिससे ये रहस्य खुल गया कि आखिर कैसे ७० टन भार वाले विशाल पत्थरों का मंदिर के शीर्ष तक पहुँचाया गया|
भोजेश्वर मंदिर सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसका निर्माण अधूरा रखा गया, मगर क्यों रखा गया इस बात का कोई पुख्ता प्रमाण तो नहीं है पर ऐसा कहा जाता है कि यह मंदिर एक ही रात में निर्मित होना था मगर छत का काम पूरा होने के पहले ही सुबह हो गयी, इसीलिए काम अधूरा रह गया|
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भोजपुर मंदिर के बिलकुल सामने पश्चिम दिशा में एक गुफा है जिसे पार्वती गुफा कहते है| इस गुफा में पुरातात्विक महत्त्व की अनेक मुर्तिया भी है| भोजपुर में एक अधूरा जैन मंदिर भी है| इस मंदिर में भगवान शांतिनाथ की ६ मीटर ऊंची मूर्ती है और दो अन्य मुर्तिया भगवान पार्शवनाथ व सुपारानाथ की है| इस मंदिर में लगे एक शिलालेख पर राजा भोज का नाम लिखा है| यह एक मात्र ऐसा सबूत है जो राजा भोज से सम्बंधित है|
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