लगातार २५ फ्लॉप फ़िल्में देने के बाद भी सुपरस्टार बने थे ये अभिनेता
बॉलीवुड में अभिनेता या अभिनेत्री बनकर अपना करियर बनाने के लिए कई लोग आते है। इनमें से कई लोग तो संघर्ष करते हुए ही हार मानकर वापस चले जाते है और जो बन जाते उनका करियर एक सफल फिल्म देने पर निर्भर होता है। कुछ तो सफल फ़िल्में देने के बावजूद इस इंडस्ट्री में टीक नहीं पाते। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे अभिनेता के बारे में बताने जा रहे है, जो लगातार २५ फ्लॉप फ़िल्में देने के बावजूद सुपरस्टार बन गए थे।
Biography
२१ अक्टूबर १९३१ में ‘मुंबई’ में जन्मे शमशेर राज कपूर जिनको पूरी दुनिया ‘शम्मी कपूर‘ के नाम से जानती है। शम्मी कपूर के पापा यानी फिल्म ‘मुग़ल-ए-आजम’ वाले अकबर यानी पृथ्वीराज कपूर का अपना एक थिएटर था, जिसे पृथ्वी थिएटर के नाम से जाना जाता है। भाई राज कपूर के अभिनेता बन जाने के बाद शम्मी कपूर का नंबर लग गया था।
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स्कूल में सोने की सजा के तौर पर शम्मी कपूर के पिता को स्कूल में बुलाया जाता, मगर काम में व्यस्त होने के कारण राज कपूर स्कूल पहुंचते। ऐसे ही एक बार राज कपूर, टीचर से मिलने स्कूल पहुंचे थे तो टीचर ने एक्टिंग और थिएटर को बुरा-भला कहना शुरू कर दिया। राज कपूर ने कहा कि ‘जिस स्कूल में कला की इज्जत नहीं, वहां उनका भाई नहीं पड़ेगा।’ जिसके बाद शम्मी को उस स्कूल से निकालकर दूसरे स्कूल में एड्मिशन करवाया दिया गया।
पढ़ाई में ज्यादा मन नहीं लगा तो पिता के थिएटर में ५० रुपये महीना में काम करना शुरू कर दिया। फिर एक्टिंग शुरू कि, तो लोग कहने लगे कि ये तो राज कपूर की नक़ल करता है। थिएटर में जो भी किरदार राज कपूर ने निभाए थे वो सारे किरदार शम्मी कपूर ने भी निभाए थे। इसी वजह से राज कपूर का प्रभाव शम्मी पर पड़ा था। मगर बाद में शम्मी ने अपनी स्टाइल से लुक तक, सबकुछ बदल कर रख दिया और वो आगे चलकर अपनी आइकॉनिक स्टाइल का इज़ाद किया। जिसे लोग आज भी पसंद करते है।
ऐसे में उनके मसीहा बने मशहूर निर्माता-निर्देशक नासिर हुसैन, जिन्होंने सशधर मुखर्जी के कहने पर शम्मी कपूर को अपनी फिल्म में लिया था। उस फिल्म का नाम था ‘तुमसा नहीं देखा’, जिसने ना सिर्फ तगड़ी कमाई की बल्कि शम्मी कपूर को स्टार भी बना दिया। इसके बाद शम्मी ने नासिर साहब के साथ कई फ़िल्में की जो सुपरहिट भी रही। साल १९६४ में एक फिल्म आई थी ‘राजकुमार’। उस फिल्म में शम्मी कपूर के साथ उनके पिता पृथ्वीराज, राजेंद्र कुमार और साधना भी थीं। फिल्म के एक गाने ‘यहां के हम हैं राजकुमार’ की शूटिंग के दौरान हाथी पर खड़े शम्मी के घुटने टूट गए थे।
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साल १९५७ से १९७१ तक उन्होंने ढेरों हिट फ़िल्में दीं, जिनमे ‘तुमसा नहीं देखा’, ‘दिल देके देखो’, ‘जंगली’, ‘उजाला’, ‘चाइना टाउन’, ‘ब्लफ़मास्टर’, ‘कश्मीर की कली’, ‘जानवर’, ‘ब्रह्मचारी’, ‘तुमसे अच्छा कौन है’ और ‘ऐन इवनिंग इन पेरिस’ आदि ख़ास हैं। साल १९७१ में आई उनकी फिल्म ‘अंदाज़’ लीड रोल में उनकी आखिरी फ़िल्म थी। उसके बाद उन्होंने फिल्मों में कैरेक्टर रोल्स करने शुरू किए। आख़िरी बार वो अपने पोते रणबीर कपूर की फ़िल्म ‘रॉकस्टार’ में शहनाई वादक के किरदार में नज़र आए थे।

शम्मी कपूर को बुढ़ापे में डायबिटीज की बीमारी हो गयी थी। जिसकी वजह से उन्हें हफ्ते में तीन दिन डायलिसिस पर रहना पड़ता था। मगर बाकी के दिन वो अपने दोस्तों के साथ ताश खेलते या फिर किताबें पढ़ते हुए गुजारा करते थे। इसी डायबिटीज की बीमारी ने उनकी हालत इतनी ख़राब कर दी कि उनके पांव की अंगुलियां काटनी पड़ गयी थी। ऐसी तकलीफें सहने के बावजूद शम्मी कपूर साहब हमेशा खुशमिजाज रहा करते थे। आखिरकार १४ अगस्त २०११ के दिन इसी बीमारी ने उनकी जान ले ली और वो इस दुनिया को छोड़कर हमेशा-हमेशा के लिए चले गए।

दोस्तों, शम्मी कपूर साहब की वो कौन सी फिल्म है जो आपको पसंद है? कृपया कमेंट बॉक्स में उसका नाम लिखकर जरूर बताएं और इस महान अभिनेता के लिए एक लाइक तो बनता है। जानकारी अच्छी लगी हो तो शेयर जरूर करें।
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