हम उपवास रखते है तब भी पूरे दिन कुछ न कुछ उपवास की चीजें खा लेते है, पर ये कैसे संभव है कि कोई इंसान पिछले ७८ सालों तक बिना कुछ खाये पीये जिन्दा रह सकता है| आज हम आपको प्रह्लाद जानी ( माताजी )नामक उसी इंसान के बारे में बताने जा रहे है|

प्रह्लाद जानी (माताजी)
प्रह्लाद जानी उर्फ़ माताजी का जन्म १३ अगस्त १९२९ के दिन गुजरात के मेहसाणा जिले में हुआ था| १२ साल के उम्र से समाधी लेने तक प्रह्लाद जानी ने न तो कुछ खाया है और न ही पीया | प्रह्लाद जानी खुद ये कहते थे कि जब वो १२ साल के थे, तब कुछ साधू इनके पास आये और साथ चलने को कहा, पर इन्होंने साधुओं के साथ जाने से मना कर दिया| करीब ६ महीने बाद तीन कन्याएं प्रह्लाद जी के पास आयी और इनकी जीभ पर ऊँगली रखी| तब से लेकर अब तक इन्हें न तो प्यास लगी और न ही भूख|

विज्ञानं कहता है कि कोई भी व्यक्ति बिना खाये ३०-४० दिन तक जिन्दा रह सकता है पर बिना पानी पिये मुश्किल से ५-६ दिन तक जिन्दा रह पाता है| विज्ञानं और आध्यात्म के बीच फांसी ये पहेली अब और भी उलझ गयी है|


यही नहीं भारतीय सेना के रक्षा शोध और विकास संगठन की निगरानी में २२ अप्रैल २०११ में भी १५ दिन के लिए अहमदाबाद की निगरानी में रखा गया था| इस दौरान हर आधे से एक घंटे में प्रह्लाद जानी को फिजीशियन, कार्डियोलॉजिस्ट, गेस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट,एंडोक्रिनोलॉजिस्ट, डायबिटोलॉजिस्ट, यूरो सर्जन, आंख के डॉक्टर और जेनेटिक के जानकार डॉक्टरों की टीम के जरिए चेक किया जाता रहा और उनकी रिपोर्ट तैयार की जाती रही और इन १५ दिनों में भी पहले जैसा ही रिजल्ट मिला|

जब पहली बार प्रह्लाद जानी जी को मुंबई के जे जे अस्पताल में लाया गया तो १० दिनों के बाद करीब ३०० डॉक्टरों ने अपनी रिपोर्ट दी जिसमे लिखा था कि १० दिन बाद भी उनके शरीर के सभी अंग स्वस्थ थे और पहले की तरह ही काम कर रहे थे| दिल की धड़कनो पर कोई खास बदलाव नहीं हुआ था| सीने के एक्स – रे सामान्य थे| दिमाग के एमआरआई में भी कुछ खास नहीं निकला| डॉक्टर शाह ने तो अपनी वेबसाइट पर प्रह्लादजी के तथ्यों को केस स्टडी के रूप में दुनिया भर के चिकित्स्कों को इस पहेली को सुलझाने की चुनौती भी दे डाली थी|
१९७० के दशक से प्रह्लाद जानी जी गुजरात के जंगल में एक गुफा में एक एकांतवासी के रूप में रहा करते थे। २६ मई २०२० को अपने पैतृक चरदा में उनका निधन हो गया। उन्हें २८ मई २०२० को अंबाजी के पास गब्बर हिल में अपने आश्रम में समाधि दी गयी।

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