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"गीताया: पुस्तकं यत्र पाठ: प्रवर्तते तत्र सर्वाणि तीर्थानी प्रयागादीनि तत्र वै" इस श्लोक का अर्थ है कि जहां गीता की पुस्तक होती है औऱ जहां गीता का पाठ होता है|

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हिन्दू धर्म में श्रीमद्भगवद्गीता बहुत ज्यादा महत्व रखती हैं और हमें पौराणिक काल के बारे में बताती हैं| 

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इस गीता में 670 पृष्ठ हैं और उसका वजन 800 किलोग्राम है| इस्कॉन के अनुसार इसे ‘एस्टाउंडिंग’ यानी अद्भुत गीता कहा जा रहा है| इस गीता का आकार 2.8 मीटर गुणा 2 मीटर है|

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इंटरनैशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (इस्कॉन) 400 से अधिक मंदिरों का एक विश्वव्यापी परिसंघ है जो 100 शाकाहारी रेस्त्रां और कई प्रकार की...

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....सामुदायिक सेवा परियोजनाएं चलाता है| और इसको बनाने में 2.5 साल का लंबा वक्त लगा है|

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इस गीता की पुस्तक को इटली में बनाया गया है और इस पुस्तक को समुंद्र के रास्ते से भारत लेकर आए थे| इस गीता के उपदेश संस्कृत भाषा में लिखे गए हैं |