बॉलीवुड में राजेंद्र कुमार और राजेश खन्ना जैसे सुपरस्टार ने अपने करियर में कई ऊंचाइयों को छुआ है। मगर ये भी सच है कि इन दोनों अभिनेताओं ने आसमान छूने के बाद जमीन के भी दर्शन किये है। इसे किस्मत कहे या इत्तेफाक कि इन दोनों सुपरस्टारों की जिंदगी में एक बंगले का बहुत बड़ा योगदान रहा है। चलिए जानते है Aashirwad Bungalow की कहानी|
Aashirwad Bungalow की कहानी
60 के दशक में कार्टर रोड पर बंगलो का एक समूह हुआ करता था जो मुख्य रूप से पूर्वी भारतीय समुदाय और पारसियों से सम्बंधित था। उस समय समुद्र का सामने सिर्फ संगीत निर्देशक नौशाद द्वारा बनाया गया बंगला था जिसका नाम ‘आशियाना’ था। इसके पास ही थोड़ी टूटी-फूटी हालत में एक और बंगला था जिसे वहां रहने वाले लोग भूत बंगला कहा करते थे।
उन्ही दिनों राजेंद्र कुमार बॉलीवुड में अपने पैर ज़माने की कोशिश कर रहे थे और उनके एक दोस्त द्वारा उनकी नज़र इस बंगले पर पड़ी थी। बंगला तो उन्हें पसंद आ गया था, मगर उनके पास इतने पैसे नहीं थे कि इस बंगले को खरीद सके।
इत्तेफाक ऐसा हुआ कि बॉलीवुड के मशहूर निर्माता-निर्देशक बी आर चोपड़ा ने राजेंद्र कुमार को न केवल ‘क़ानून’ नामक फिल्म ऑफर की बल्कि इसके अलावा दो और फिल्मों का ऑफर दे डाला और इन फिल्मों में के लिए राजेंद्र कुमार को 90 हजार रुपये का अग्रिम भुगतान भी कर दिया।
इस बंगले को राजेंद्र कुमार ने 60 हजार रुपये में ख़रीदा और अपने खास दोस्त Manoj Kumar से इस बंगले के बारे में बात की। मनोज कुमार ने इस बंगले के प्रेतवाधित होने के बारे में सुना था हालांकि उन्होंने राजेंद्र को ऐसी कहानियों को गंभीरता से ना लेने और पूजा करने के बाद रहने की सलाह दी। राजेंद्र कुमार ने इस बंगले को नया रूप दिया और इसका नाम अपनी बेटी ‘डिंपल’ के नाम पर रख दिया।
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इस बंगले में रहने के दौरान ही Rajendra Kumar के फ़िल्मी करियर में बहुत बड़ा उछाल आया और उनकी हर फिल्म सिल्वर जुबली होने लगी। उनकी ये फिल्में लगातार 25 हफ्तों तक सिनेमाघरों में चलती थी, जिसकी वजह से राजेंद्र कुमार का नाम ‘जुबिली कुमार’ पड़ गया। शोहरत इतनी मिली कि उन्होंने पाली हिल में एक और बंगला खरीद लिया और उसका नाम भी ‘डिंपल’ रखा।
कुछ सालों बाद राजेंद्र कुमार के करियर में अचानक से ब्रेक लगना शुरू हो गया और उन्हें सहायक भूमिकाओं की तरफ अपना रूख करना पड़ा। नौबत ऐसी आयी कि उन्होंने अपने इस बंगले को बेचने का फैसला कर लिया।
ये वो समय था जब बॉलीवुड में Rajesh Khanna नामक एक नए सितारे ने अपना पहला कदम रखा था। राजेश खन्ना को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने तुरंत इस बंगले को खरीदने की ठान ली, क्यूंकि वो जानते थे कि इसी बंगले में रहकर राजेंद्र कुमार ने कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ी थी।
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पैसों का इंतज़ाम करके राजेश खन्ना ने ये बंगला करीब साढ़े तीन लाख में खरीद लिया और इसका नाम बदलकर ‘आशीर्वाद’ रख लिया। अब इसे अन्धविश्वास कहें या कुछ और, जैसे ही राजेश खन्ना ने इस बंगले में प्रवेश किया उनका पूरा जीवन और करियर बदल गया और बॉलीवुड को उनका पहला सुपरस्टार मिल गया।
यही वो बंगला बना जो मुंबई के किसी भी प्रसिद्द जगह से अधिक लोकप्रिय बन गया। इस बंगले के बाहर राजेश खन्ना की एक झलक पाने के लिए उनके चाहने वालों की भीड़ जमा रहती। उन्होंने इस तरह की सफलता देखी जो किसी अन्य स्टार ने नहीं देखी थी।
कुछ सालों बाद जिस तरह राजेंद्र कुमार ने अपने करियर में गिरावट देखी थी, ठीक उससे तरह राजेश खन्ना ने भी अपना बुरा वक्त इसी बंगले में देखा। जीवन आसान नहीं रहा जब पत्नी और बच्चों ने राजेश खन्ना का साथ छोड़ दिया। जिस बंगले के बाहर हजारों की भीड़ जमा होती थी, वहां अब सन्नाटा छा गया। अपने जन्मदिन पर हजारों-लाखों गुलदस्तें पाने वाले और लड़कियों द्वारा खून से लिखे खत पाने वाले राजेश खन्ना अकेले रह गए और आखिरकार इसी बंगले में उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।
राजेश खन्ना के जाने के बाद इस बंगले को कुछ कानूनी कारवाई के बाद शशी किरण शेट्टी नामक एक बिज़नेसमैन ने करीब 90 करोड़ में ख़रीदा और इस बंगले को तोड़कर नया घर बनवा रहे है।
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