127 साल पहले चट्टान काटकर बनाया गया था यह महल
इस महल को शिप हाउस महल का नाम दिया गया| ऐसा बताया जाता है कि महाराजा प्रताप सिंह ऐसे राजाओं में से थे जिन्होंने बहुत सी विदेश यात्राएं की थी|
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साल 1886 में नागौरी गेट के पास एक छोटी सी पहाड़ी पर Jahaaj Mahal का निर्माण करवाया गया| जिसे महाराजा प्रताप सिंह ने अपने निजी निवास के लिए इस्तेमाल किया था|
कुछ समय रहने के बाद महाराज प्रताप सिंह के एक अंग्रेज मित्र ने उन्हें यहाँ न रहने की सलाह दी और बताया कि जोधपुर में हवा की गति प्रायः पश्चिम से पूर्व की तरफ रहती है और पूर्व में नगर की जनसंख्या होने के कारण प्रदूषित वायु इधर ही आएगी| इस पर महाराजा ने इसमें रहना छोड़ दिया|
आजादी के बाद ये शिप हाउस सरकार के नियंत्रण में आ गया, जिसके बाद 25 जनवरी 1949 के दिन इस Jahaaj Mahal में जोधपुर ब्राडकास्टिंग स्टेशन का रूप दे दिया गया| यहाँ प्रख्यात सरोवादक उस्ताद अली अकबर खान संगीत विभाग और मशहूर शायर रमजी इटावी उर्दू सेक्शन के इंचार्ज थे| आजादी के बाद यहाँ कई सरकारी विभागों के कार्यालय भी रहे और यहाँ कुछ फिल्मों की शूटिंग भी की गयी है|
पहले इस जगह तक पहुंचने के लिए रेलिंग लगी थी और सड़क भी बहुत अच्छी थी| दूर खड़े रहकर देखने पर यह भवन पानी के किसी जहाज के सामान दिखाई देता है| बता दें कि इस जगह को भारतीय पुरातत्व विभाग ने संरक्षित स्मारकों की श्रेणी में रखा गया है|
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