History of Burj Khalifa – ऐसे बनी दुनिया की सबसे बड़ी इमारत

History of Burj Khalifa – ऐसे बनी दुनिया की सबसे बड़ी इमारत

दुबई में स्थित बुर्ज खलीफा इमारत अब तक की सबसे ऊंची इमारत है। इस इमारत के बनने से पहले कोई ये सोच भी नहीं सकता था कि इतनी ऊंची इमारत कभी बनाई भी जा सकती है। मगर कई मजदूरों और इंजीनियरों की सूझबूझ और मेहनत की वजह से दुनिया की सबसे ऊंची इमारत को खड़ा करने का काम पूरा हुआ था। तो फिर चलिए जानते है History of Burj Khalifa.

Burj Khalifa को बनाने की शुरुवात 6 जनवरी 2004 के दिन हुई जब दुबई के Property Developer EMAAR ने बुर्ज खलीफा के Design की जिम्मेदारी अमेरिका की Arctitature कंपनी Skidmore Owings & Merrill को दी। इसी कंपनी के आर्किटेक्ट Adrian Smith को बुर्ज खलीफा का डिज़ाइन बनाने की जिम्मेदारी दी। इसके साथ ही बुर्ज खलीफा के Construction का काम South Korean कंपनी Samsung C & T Corporation को दिया गया।

Samsung C & T Corporation कंपनी ने इसके पहले Taipei 101 नामक टावर का भी काम कर चुकी थी जो कि बुर्ज खलीफा के पहले दुनिया की सबसे लम्बी इमारत थी। Burj Khalifa के कंस्ट्रक्शन के सबसे बड़े काम को करना अकेले Samsung C & T Corporation के बस का नहीं था इसीलिए इस कंपनी ने Belgium की BESIXऔर UAE की ARABTEC कंपनी को भी अपने साथ इस काम में ले लिया।

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  • सबसे आश्चर्य की बात ये है कि साल 2004 में जब Burj Khalifa का बेस बनाना शुरू किया गया तब तक तो इस टावर का पूरा डिज़ाइन भी तैयार नहीं किया गया था। कंस्ट्रक्शन के काम के साथ बुर्ज खलीफा के डिज़ाइन का काम भी किया जा रहा था। कंस्ट्रक्शन के 3 साल के भीतर ही बुर्ज खलीफा ने वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने का सिलसिला शुरू कर दिया था।

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  • दुबई में स्थित Burj Khalifa दुनिया की सबसे ऊंची इमारत है। बादलों को चीर कर निकलने वाली 2716 फुट ऊंची इस इमारत पर 114 अरब रुपयों का खर्च आया था। महज पैसों की लागत के लिए नहीं बल्कि ये इमारत Engineering के इतिहास में सबसे खूबसूरत कारनामा माना जाता है। इस खूबसूरत इमारत को बनाने में इंजिनीयरों को किन मुश्किलों का सामना करना पड़ा चलिए जानते है।

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History of Burj Khalifa | बुर्ज खलीफा को बनाने में आयी मुश्किलें

  • बुर्ज खलीफा को बनाने में सबसे बड़ा Challange था इस इमारत के कंस्ट्रक्शन के काम को समय पर पूरा करना। इस इमारत को बनाने के लिए इंजिनीयरों को महज 6 साल का समय दिया गया। इन 6 सालों में से 3 साल तो इतनी बड़ी इमारत की डिज़ाइन बनाने में निकल जाने थे। अगर इसमें तीन सालों का इंतज़ार करते तो बाकी के तीन सालों में इमारत खड़ा करना लगभग नामुमकिन हो जाता। यही कारण है कि इसके construction का काम Design बनने के पहले ही शुरू किया गया और इसके साथ-साथ डिज़ाइन का काम भी जारी रहा।
  • आमतौर पर बड़ी इमारतों की बुनियाद बड़े-बड़े पत्थरों पर डाली जाती है, मगर जिस जगह बुर्ज खलीफा बनना था, उसके नीचे रेतीले और छोटे-छोटे पत्थर ही मौजूद थे। इससे निपटने के लिए Science के एक मूल सिद्धांत Friction को इस्तेमाल किया गया।
  • बुर्ज खलीफा की बुनियाद 192 Solid Steel Piles पर खड़ी की गयी, जो ५० मीटर जमीन के अंदर खोदी गयी है। पूरे बुर्ज खलीफा का वजन इन्हीं 192 Solid Steel Piles पर बराबर वितरित किया गया है। साथ ही इस ऊंची इमारत को बनाने के लिए पहली बार Buttress Structure के रूप में बनाया गया।
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  • कंस्ट्रक्शन टीम एक के बाद एक फ्लोर बनाती गयी, मगर थोड़ा ऊपर जाते ही इनको एक और मुश्किल का सामना करना पड़ा। जिस कंक्रीट का मिक्सर ये लोग तैयार करके ऊपर भेजते थे वो ऊपर जाते-जाते ही सुख जाता था। इसका सिर्फ एक ही निकाल था और वो था concrite suction system।
  • Burj Khalifa के नीचे से लेकर ऊपर तक मोटे-मोटे पाइप install किये गए, जिनके जरिये कंक्रीट को ऊपर के फ्लोर तक पहुंचना था। ये कोई छोटा काम तो था नहीं। बुर्ज खलीफा में लगने वाले कंक्रीट का कुल वजन करीब 1 लाख हाथियों के वजन के बराबर था और इतना ज्यादा कंक्रीट ऊपर तक पहुंचने के लिए दुनिया के तीन सबसे ज्यादा ताकतवर पंप मंगवाए गए।
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  • कंस्ट्रक्शन के अगले तीन सालों में बुर्ज खलीफा के 140 फ्लोर बन चुके थे और इसके साथ ही बुर्ज खलीफा ने दुनिया की सबसे ऊंची इमारत होने का रिकॉर्ड भी तोड़ दिया था। इसके बाद मटेरियल ऊपर पहुंचाने के लिए जिन क्रेनों का इस्तेमाल किया जा रहा था वो मटेरियल को महज 120 वे फ्लोर तक ही पहुंचाने की काबिलियत रखती थी। इन्हें इस्तेमाल करने वाले ऑपरेटरों ने भी इतनी ऊंचाई पर काम करने से मना कर दिया था।
  • इसके लिए बाद में पूरी दुनिया से अलग-अलग देशों से क्रेन ऑपरेटरों को दुबई लाया गया। ये क्रेन ऑपरेटर अलग-अलग जुबान बोलै करते थे मगर इनमें एक ही चीज सामान्य थी और वो ये थी इन्हें ऊंचाई से डर नहीं लगता था और ये क्रेन ऑपरेटर दिन के 12-12 घंटों तक काम किया करते थे। यहां तक की कभी-कभी तो क्रेन में ही सोया करते थे।
  • बुर्ज खलीफा को लांच करने के लिए महज 2 साल ही बचे थे। सारे फ्लोर का स्ट्रक्चर तैयार हो चूका था, मगर Glass Panels का काम अभी शुरू भी नहीं हुआ था। बुर्ज खलीफा में कुल 24000 Window Panels लगाने बाकी थे। जब ग्लास पैनल लगाने की बारी आयी तो उनको लगाने से इमारत के अंदर का Temprature दुबई की कड़कती गर्मी और ऊंचाई की वजह से 100 Degree Centigrade तक जा पहुंचता था।
  • how-burj-khalifa-made-in-dubai-History-of-Burj-Khalifaअगर इस Glass Panels को लगाया जाता तो इमारत को ठंडा करने में 10 गुना ज्यादा बिजली खर्च होती। इस मुश्किल का हल ढूंढ़ते-ढूंढ़ते 18 महीने यूंही गुजर गए। आखिरकार John Zerafa नामक इंजीनियर ने इसका हल निकाल ही लिया जो काफी महंगा था। जॉन की पेशकश कबूल की गयी क्यूंकि इसके अलावा और कोई रास्ता नहीं बचा था।
  • इसके बाद जॉन ने एक ख़ास किस्म का ग्लास तैयार किया जो सूरज की रोशनी से निकलने वाली यूवी किरणों को वापस reflect कर देता था। इस एक ग्लास को बनाने के लिए 2000 डॉलर थी और ऐसे 24000 पैनल्स बनाने थे। 3 अरब 60 करोड़ के खर्चे में बनने वाली इन Glasses को बनाने के लिए अलग से एक factory बनायीं गयी, जिसमें सिर्फ यही ग्लास पैनल्स बनाये गए। महज 4 महीनों में ही ये Glass Panels बनकर तैयार हो गये।
  • कंस्ट्रक्शन के आखिरी साल में बुर्ज खलीफा में पानी, गैस और बिजली का सारा काम हो चूका था। मगर बुर्ज खलीफा के टॉप फ्लोर का काम अभी बाकी था, जिस पर एक solid steel का पाइप लगाना था जिसकी लम्बाई 136 मीटर की थी और वजन 350 ton था।
  • how-burj-khalifa-made-in-dubaiदुनिया में ऐसी कोई क्रेन मौजूद नहीं थी जो इतनी बड़ी और वजनी स्टील के पाइप को बादलों के भी ऊपर Burj Khalifa के टॉप पर रख सके। मगर समय नहीं था और किसी भी तरफ इस काम को अंजाम भी देना था। आखिरकार फिर एक बार इंजिनीयरों ने अपने काबिलियत दर्शायी और इस लम्बे और वजनी स्टील के पाइप को बुर्ज खलीफा के अंदर ही टुकड़ों में बनाने का फैसला किया। जिसके बाद इस पाइप को छोटे-छोटे हिस्सों में बनाया गया और बुर्ज खलीफा की चोटी पर इसे स्थापित किया गया।
  • बुर्ज खलीफा बनकर तैयार तो हो गया मगर सालों से construction की धुल मिट्टी की चादर ने इसे ढक रखा था। इसे बाहर से पॉलिश करना बेहद जरुरी था। इस काम के लिए वर्करों को रस्सी से लटकाकर 24000 window panels  को बाहर से पॉलिश करवाया गया। यही काम आज भी इसी तरह ऐसे ही वर्करों से कराया जाता है।
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  • आखिरकार बुर्ज खलीफा 1 अक्टूबर 2009 को बनकर तैयार किया गया और आधिकारिक तौर पर 4 जनवरी 2010 को इसकी ओपनिंग की गयी। Dubai में स्थित Burj Khalifa इमारत की ऊंचाई 828 मीटर है जो कि Eiffel tower की तुलना में लगभग तीन गुनी है। इस इमारत में 163 मंजिलें है। बुर्ज खलीफा के कंट्रक्शन के काम में 12000 वर्कर्स एक साथ काम किया करते थे। इस इमारत में 24000 Glass Panels लगे हुए है जिनका वजन 35A , 380 हवाईजहाजों के वजन के बराबर है।
  • दुनिया का सबसे ऊंचा Restaurants बुर्ज खलीफा में मौजूद है। बुर्ज खलीफा लगी हुई Elevator दुनिया की सबसे तेज चलने वाली Lifts कहलाती है। इस इमारत में लगभग 35 हजार लोगों के एकसाथ ठहरने की व्यवस्था भी की गयी है।
  • बुर्ज खलीफा के नाम 6 World Records भी दर्ज है, जिसमें विश्व की सबसे ऊंची Free Standing इमारत, सबसे तेज और लम्बी Lift, सबसे ऊंची मंजिल, सबसे ऊंचा Swimming Pool, सबसे ज्यादा मंज़िल और सबसे ऊंचे Restaurant भी शामिल है। यह इमारत इतनी ऊंची है कि आप इसे 95 किलोमीटर की दुरी से भी देख सकते है।

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  • इस इमारत की लिफ्ट करीब 65 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से चलती है। इसके 76 फ्लोर पर विश्व का सबसे ऊंचा स्विमिंग पूल और 122 वी मंजिल पर एक रेस्टोरेंट भी बना हुआ है। इसकी 158 वी मंज़िल पर विश्व की सबसे ऊंची मस्जिद भी मौजूद है और 144 मंज़िल पर दुनिया का सबसे ऊंचा Night Club भी मौजूद है।
  • इस इमारत का structure कुछ इस तरह बनाया गया है कि इसके top floor पर तापमान ground floor के मुकाबले 15 डिग्री सेल्सियस कम रहता है। यह बात भी दिलचस्प है कि निर्माण के समय इस इमारत का नाम पहले बुर्ज दुबई था। मगर इसे बनाने के लिए finance में मदद करने वाले संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति Shaikh Khalifa bin Zayed bin Sultan Al Nahyan के सम्मान में उद्घाटन के वक्त इसका नाम बुर्ज दुबई से बुर्ज खलीफा रख दिया गया।
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  • इसके 124 फ्लोर पर एक अवलोकन डेक भी बनाया गया है जिस पर से Telescope के जरिये पर्यटक पूरी दुबई का नज़ारा देख सकते है। तेज हवाओं के दौरान इसके दरवाजे अपने आप पर्यटकों के लिए बंद हो जाते है, क्यूंकि ऊपर के फ्लोर्स पर हवा इतनी तेज हो सकती है जितना Category 1 Hurricane होता है।
  • जिस जगह पर अभी बुर्ज खलीफा मौजूद है उस जगह पर पहले एक मिलिट्री हेडक्वाटर हुआ करता था। ये वो इमारत है जहां से सूरज को ढलते हुए दो बार देखा जा सकता है एक तो ground floor से और दूसरी दफा top floor से। दुनिया की सबसे तेज लिफ्ट के अलावा इस ऊंची इमारत में 160 वी मंज़िल तक कुल 2909 सीढ़ियां है।

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