क्यों Chattarpur के Bhimkund के रहस्यों ने वैज्ञानिको की उड़ा दी है नींदें

दोस्तों, दुनिया में आज भी ऐसी कई रहस्यमयी चीजें हैं, जिनके रहस्य का खुलासा अब तक नहीं हो पाया है| ऐसी कई रहस्यमयी चीजों और जगहों के बारे में कई वैज्ञानिक पता लगाने जाते है मगर उनके हाथ असफता के अलावा और कुछ नहीं लग पाता हैं| आज हम आपको भारत के एक ऐसे रहस्यमय कुंड के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसकी गहराई का पता और उसकी विशेषता के बारे में आजतक विशेषज्ञ भी नहीं लगा पाए हैं|

Bhimkund

Bhimkund -भीमकुंड कहाँ पर है?

मध्य प्रदेश के छतरपुर ( Chattarpur ) जिले से करीब 70 किलोमीटर दूर बाजना नामक गांव में स्थित इस रहस्यमय कुंड का नाम Bhimkund है| आपको नाम से ही पता चल गया होगा कि इस कुंड का नाता जरूर महाभारत काल से जुड़ा है|

Bhimkund

कुछ ऐसी है भीमकुंड की कथा

भीमकुंड की कहानी कुछ ऐसी है कि महाभारत काल में जब अज्ञातवास के दौरान पाँचों पांडव और उनकी पत्नी पांचाली यानी द्रोपदी एक वन से गुजर रहे थे| तब भटकते – भटकते द्रोपदी को प्‍यास लगी| द्रोपदी को प्यासा पांचों भाइयों ने आस-पास पानी की खूब तलाश की| मगर, कहीं भी पानी का कोई स्रोत नहीं म‍िला| कथा के अनुसार धर्मराज युधिष्ठिर ने नकुल को याद कराया कि उसके पास ऐसी क्षमता है कि वह पाताल की गहराई में मौजूद जल का पता लगा सकता है|

Bhimkund

युधिष्ठिर के कहने पर उनके छोटे भाई नकुल ने धरती को छूकर ध्यान लगाया| ध्यान लगाने से नकुल को पता चल गया कि किस जगह पर जल स्रोत मौजूद है| धरती में नीचे पानी का पता तो चल गया, लेक‍िन इस पानी को बाहर कैसे निकला जाय यह समस्‍या जैसी की तैसी बनी रही|

Bhimkund

जब द्रोपदी प्‍यास से व्‍याकुल हो उठीं तो गदाधारी भीम को गुस्सा आ गया| उन्होंने अपनी गदा उठाई और जिस जगह पर नकुल ने पानी का स्थान बताया था उसी जगह पर अपनी गदा से जोरदार प्रहार किया| भीम की गदा के प्रहार से धरती की कई परतों में छेद हो गया और पानी दिखाई देने लगा| लेक‍िन धरती की सतह से पानी लगभग तीस फीट नीचे था|

Bhimkund

ऐसी स्थिति में युधिष्ठिर ने अर्जुन से कहा कि अब तुम्हें अपनी धनुर्विद्या के कौशल से पानी तक पहुंचने का मार्ग बनाना होगा| यह सुनकर अर्जुन ने धनुष पर बाण चढ़ाया और अपने बाणों से पानी तक पहुंचने के लिए सीढ़‍ियां बना दीं| आखिरकार धनुष से बनी सीढ़‍ियों से द्रौपदी को पानी तक ले जाया गया| यह कुंड भीम की गदा के प्रहार से बना था इसल‍िए इसे भीमकुंड के नाम से जाना गया|

Bhimkund

भीमकुंड को लेकर क्या मान्यताएं है?

भीमकुंड को लेकर मान्‍यता है क‍ि यह एक शांत ज्वालामुखी है| इसकी गहराई की बात करें तो अब तक कई भू-वैज्ञानिकों ने और कई गोताखोरों ने इसकी गहराई का पता लगाने का खूब प्रयास किया| मगर, क‍िसी को भी कुंड का तल नहीं म‍िला|

ऐसा कहा जाता है क‍ि इस कुंड की अस्सी फिट की गहराई में तेज जलधाराएं बहा करती हैं जो शायद इसे समुद्र से जोड़ती हैं| हालांक‍ि भू-वैज्ञानिकों के लिए भीमकुंड की गहराई आज भी एक रहस्य ही बनी हुई है|

ऐसा कहा जाता है क‍ि इस कुंड में स्‍नान करने से त्‍वचा संबंधी सारी गंभीर बीमार‍ियां ठीक हो जाती हैं और किसी को क‍ितनी भी प्‍यास लगी हो इस कुंड की सिर्फ तीन बूंदें ही सारी प्‍यास बुझा देती है| इसके अलावा जब भी देश में कोई बड़ी आपदा आने वाली हो, तब इस जलकुंड का जलस्‍तर बढ़ जाता है| मतलब ये क‍ि आने वाली आपदा का संकेत यह कुंड पहले से ही दे देता है|

Bhimkund

भीमकुंड के बारे में ये भी कहा जाता है कि इसका पानी गंगा की तरह बिल्कुल पवित्र है और यह कभी खराब नहीं होता, जबकि आमतौर पर ठहरा हुआ पानी धीरे-धीरे खराब होने लगता है| कुंड का पानी जैसे पहले स्वच्छ दिखाई देता था वैसा आज भी दिखाई देता है|

Bhimkund की गहराई कितनी है? जब भी कोई जल प्रलय आने वाला होता है, तो Bhimkund पानी क्यों बढ़ने लगता है? ये सब रहस्य आज भी विशेषज्ञों के लिए एक रिसर्च का विषय है| मगर, सफलता किसी को नहीं मिल पायी है|

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