December 4, 2023

7 अजूबों में शामिल करने लायक है ये जगहें – फिर भी नहीं है शामिल

दुनिया के 7 अजूबों के बारे में हम सभी जानते है| लेकिन इस दुनिया में ऐसे कई और जगहें है, जो सच में अपने आप में किसी अजुबे से कम नहीं है| तो चलिये, आज हम आपको कुछ ऐसी ही जगहों की जानकारी देते है, जो दुनिया के 7 अजूबों में शामिल होने के हकदार है|
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बनाऊ राइस टेरेसेस

फिलीपीन्स के इफुगाओ नामक जगह के पहाड़ों पर करीब 2000 साल पहले यह खेत यहाँ के निवासियों के पूर्वजों ने बनवाये थे| यहाँ के लोग इसे दुनिया का 8 वां अजूबा भी कहते है| समुन्द्र तल से लगभग 1500 मीटर यानी 4900 फ़ीट ऊपर और 10 हजार 360 स्क्वायर किलोमीटर की जगह पर बनी हुई है|

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इनको सींचने के लिए प्राचीन समय में ऊपर जंगलों में बनाये गये पानी के श्रोतों से होती है| ऐसा अंदाज़ा लगाया गया है की इन दिखने वाली सीढ़ियों को अगर एक के बाद एक कतार में लगा दिया जाये तो यह पृथ्वी के आधा चक्कर लगाने जितने हो जायेंगे|

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आज के समय में भी यहाँ के निवासी इन् खेतों में चावल और सब्जियों की खेती वही पुराने तरीकों से करते है| यह आज भी उसी तरीके से काम करता है जिस तरीके से 2000 साल पहले किया करता था| हैरानी की बात यह है कि इन खेतों को उस समय बिना आधुनिक उपकरणों से बनाया गया था|

लेशान जायंट बुद्धा

चीन के सिचुआन नामक जगह पर स्थित यह बौद्ध प्रतिमा 71 मीटर यानी 233 फ़ीट ऊँची है, जिसे साल 713 से साल 803 के बीच बनाया गया था| साल 713 में इसे बनाने की शुरुवात एक चायनीस मोंक ने की थी, जिनका नाम हाई टोंग था|leshan-giant-buddha-७-अजूबों-में-शामिल-करने-लायक-है-ये-जगहें-फिर-भी-नहीं-है-शामिल

इस मूर्ति को यहाँ इसीलिए बनाया गया था ताकि इस मूर्ति के सामने स्थित तेज बहती नदियों को शांत कर सके, जो नदी में सफर करने वाले व्यापारियों के जहाजों के लिए उफान खड़े करती थी| हाई टोंग की मृत्यु के बाद और पैसों की कमी के चलते इस मूर्ति का काम 70 सालों तक बंद रहा| 70 साल बाद वेई गाओ नामक व्यक्ति ने इसका काम शुरू करवाकर साल 803 में संपन्न किया था|

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इस मूर्ति की चौड़ाई करीब 78 फ़ीट की है और 27 फ़ीट की तो सिर्फ उँगलियाँ ही है| किसी पर्वत को बीच में से काटकर इस तरह की कलाकृति बनाना और वह भी किसी आधुनिक उपकरण के बिना, यह किसी अजुबे से कम नहीं है| 1300 साल पहले इस मूर्ति को इस तरह से बनाया गया है, जिससे इसे पहाड़ों से गिरने वाले पानी से कोई नुक्सान न पहुंचे|

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कैलाशनाथ मंदिर (एलोरा)

भारत के महाराष्ट्र में एलोरा नामक जगह पर, जो की एलोरा गुफाओं के नाम से भी प्रसिद्द है, यहाँ बना कैलाशनाथ मंदिर पहाड़ों को कांटते हुए बनाया गया भगवान शिवजी का यह अनोखा मंदिर एलोरा की 32 गुफाओं में से 16 वी गुफा में है|

यह दुनिया का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जो किसी पहाड़ को कांटते हुए नक्काशी करके बनाया गया है, जिसे कभी दोबारा नहीं बनाया जा सकता| राष्टकूटा राजवंश के योगदान से बना यह कैलाशनाथ मंदिर, एलोरा में स्थित 34 मंदिरों में से एक है| इस मंदिर की लम्बाई 164 फ़ीट है और चौड़ाई 109 फ़ीट की है|

विशेषज्ञों के मुताबिक इस मंदिर को बनाते समय लगभग 4 लाख टन चट्टानों को खोद कर निकला गया होगा और इस कार्य में करीब 100 साल का वक़्त लगना चाहिये था| पर ताज्जुब की बात यह है कि इस मंदिर का निर्माण 18 साल में ही पूरा कर लिया गया था|

कैलाशनाथ मंदिर में कई गुप्त रास्तें, पानी जमा करने और निकासी की तकनीक के साथ कई खूबसूरत नक्काशियां है, जिसे सिर्फ एक ही पहाड़ को कांटते हुए बनाया गया है| 

बोरोबुदुर 

इंडोनेशिया के मजलांग नामक जगह पर स्थित और 9 वी शताब्दी में बना यह दुनिया का सबसे बड़ा बौद्ध मंदिर है| चौरस आकार में बना यह मंदिर चारों तरफ से 403 फ़ीट की लम्बाई और चौड़ाई का है| एक के ऊपर एक 9 परतों में बना इस मंदिर में 504 बुद्ध की मूर्तियां है और हर एक मूर्ति एक स्तूप के अंदर मौजूद है|

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अजीब बात यह है कि 9 परतों में बैठाया गया यह मंदिर बनाते समय किसी भी चिपकाने वाले पदार्थ जैसे सीमेंट और चुना इनका बिलकुल भी उपयोग नहीं किया गया है| ये सारे पत्थर एक के ऊपर एक अपने अपने वजन के वजह से चिपके हुए है| एक समय यह मंदिर एक ज्वालामुखी के फटने पर उस ज्वालामुखी की राख में दबकर गुम हो गया था|

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इसके अलावा इस मंदिर पर कई और आपदाएं भी आयी पर यह मंदिर ज्यों का त्यों बना हुआ है| साल 1815 में इस मंदिर को एक ब्रिटिश खोजकर्ता ने फिर से खोज निकाला था| साल 1985 इस मंदिर पर हुए आतंकवादी हमले से भी यह इमारत नहीं गिरी थी|  साल 2006 में इस क्षेत्र में आये भूकंप, जिसकी त्रीवता 6.2 तक थी, वह भी मंदिर का कुछ नहीं बिगाड़ पाया|

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दुनिया की कुछ ऐसी अजब गजब रोचक जानकारी जो शायद ही आपको पता होगी | Fact from around the world that you wont believe.

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