Gudiyon Ka Aspataal – पिछले 100 साल में हो चूका है 30 लाख गुड़ियों का इलाज

अगर आप सोच रहे हो कि अस्पताल केवल इंसानों और जानवरों के लिए होते है| तो यह गलत है| ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में एक Gudiyon Ka Aspataal है जहाँ केवल गुड़ियों का इलाज होता है| यहाँ पर गुड़ियों को रिपेयर करके बनाया जाता है| अब यदि आप सोच रहे है कि इस अस्पताल में कौन आता होगा तो आपको बतादें कि पिछले 101 साल में इस अस्पताल में करीब 30 लाख से भी ज्यादा गुड़ियों का इलाज हो चूका है|
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Gudiyon Ka Aspataal

साल 1913 में ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में इस अस्पताल की शुरुवात हेरोल्ड चैपमैन ने की थी| हारोल्ड ने सिडनी में एक जनरल स्टोर के रूप में इस अस्पताल की शुरुवात की थी| उनके भाई का शिपिंग का कारोबार था और इसी के तहत जापान से गुड़ियाँ इम्पोर्ट की जाती थी|

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लाने और ले जाने के दौरान गुड़ियों के पार्ट टूट-फूट जाते थे, जिसे हारोल्ड ठीक किया करते थे| धीरे-धीरे उन्होंने इस जनरल स्टोर को एक गुड़ियों के अस्पताल का रूप दे दिया और आज यह अस्पताल  हारोल्ड के पोते जियोफ कर रहे है|

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यह अस्पताल अपने आप में इसीलिए खास माना जाता है क्यूंकि यहाँ गुड़ियों को ठीक करने के बेहतरीन लोग मौजूद है| यहाँ पर एक आम अस्पताल की तरह ही अलग-अलग वार्ड बने हुए है, जहाँ पर अलग-अलग स्पेशलिस्ट सेवा देते है| कोई गुड़िया का सिर रिपेयर करने में माहिर है तो कोई पैर रिपेयर करने में माहिर है| यहाँ पर मॉडर्न और एंटीक गुड़ियों के अलग-अलग सेक्शन बने हुए है|

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इस अस्पताल के शुरवाती समय में यहाँ पर केवल गुड़िया ही ठीक की जाती थी| लेकिन साल 1930 में हारोल्ड चैपमैन के बेटे ने यहाँ काम संभाला तो उन्होंने यहाँ पर अन्य चीजों की भी रिपेयरिंग शुरू कर दी जैसे कि टेडी बेयर, सॉफ्ट टॉयज, अम्ब्रेला, हैंड बैग इत्यादि| लेकिन यहाँ की स्पेशलिटी केवल गुड़ियों को रिपेयर करना ही है|

omg-facts-dolls-hospital-गुड़ियों का अस्पताल

साल 1939 में द्वितीय विश्वयुद्ध के समय इस अस्पताल के बिज़नेस में तेजी आयी क्यूंकि युद्ध के चलते हर देश में उस चीज की कमी आ गयी जो दूसरे देशों से आती थी| जिसकी वजह से ऑस्ट्रेलिया में भी नयी गुड़िया बेहद कम हो गयी थी|  जिसके पास जो गुड़िया थी उसी से काम चलना पड़ता था और ख़राब होने पर उन्हें यहाँ रिपेयर कराने के अलावा कोई रास्ता नहीं होता था|

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अस्पताल के संचालक जियोफ के मुताबिक जब लोग अपनी प्यारी गुड़िया यहाँ जमा कराने आते है तो उनकी आँखों में आंसू होते है| लेकिन इसके बाद जब कोई बच्चा अपनी प्यारी गुड़िया लेने वापस आता है, तब उसके चेहरे पर जो मुस्कान होती है उससे बढ़कर हमारे लिए कोई चीज नहीं है|

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