Chand Bawdi – सच में अदभुद है यह बावडी
आपने राजा महाराजाओं द्वारा बनाये गये कई ऐसे किले या कई ऐसे स्मारक देखें होंगे जो सच में काबिलेतारीफ है| आज हम आपको एक ऐसे ही अदभुद संरचना के बारे में बता रहे है|
Chand Bawdi History
Chand Bawdi का निर्माण 9 वी शताब्दी में गुर्जर प्रतिहार वंश के राजा मिहिरभोज जिन्हें चाँद नाम से भी जाना जाता है, उन्होंने करवाया था| Chand Bawdi राजस्थान के जयपुर शहर से 95 किलोमीटर की दूरी पर स्थित आभानेरी गाँव में स्थित है| आभानेरी गाँव को पहले आभानगरी नाम से जाना जाता था|
पुरातत्व विभाग को प्राप्त अवशेषों से ज्ञात जानकारी के अनुसार आभानेरी गाँव 3000 वर्ष से भी अधिक पुराना हो सकता है, इसी गाँव में स्थित है “चाँद बावडी”| आभानेरी गाँव का शुरूआती नाम “आभा नगरी” था जिसका मतलब होता है चमकदार नगर, लेकिन कालान्तर में इसका नाम परिवर्तित कर आभानेरी कर दिया गया|
Chand Bawdi दुनिया की सबसे गहरी और सबसे बड़ी बावड़ी है| जो चारों तरफ से 35 मीटर चौड़ी है| यह बावड़ी लगभग 1000 साल पुरानी है| करीब 100 फ़ीट गहरी इस बावड़ी तीन कोणों में 3500 भूलभुलैयानुमा सीढ़िया है| इसके एक कोने में स्तम्भयुक्त बरामदे,नृत्य कक्ष और गुप्त सुरंगे बनी हुई है| इसकी सबसे निचली मंजिल पर बने दो ताखों पर महिसासुर मर्दिनी एवं गणेश जी की सुंदर मूर्तियाँ भी इसे खास बनाती हैं|
बावडी की सुरंग के बारे में भी ऐसा सुनने में आता है कि इसका उपयोग युद्ध या अन्य आपातकालीन परिस्थितियों के समय राजा या सैनिकों द्वारा किया जाता था|
बावडी की सीढियों को आकर्षक एवं कलात्मक तरीके से बनाया गया है और यही इसकी खासियत भी है कि बावडी में नीचे उतरने वाला व्यक्ति वापस उसी सीढी से ऊपर नहीं चढ सकता|
बावड़ी में पानी का स्तर जो भी हो, पानी हमेशा भरा जा सकता है| उस समय यहाँ पानी की बहुत कमी हुआ करती थी, पर यह बावड़ी करीब एक साल से भी ज्यादा स्थानिक लोगों की जरुरत पूरी करती थी|
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा इसकी देखभाल की जाती है| मगर आज यह सुंदर संरचना उपयोग में नहीं है| दुनिया का यह सबसे आकर्षक स्टेपवेल Chand Bawdi पूरी दुनिया से पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करती है| जो लोग वास्तुकला प्रेमी हैं, वो इस आकर्षण को देखने के लिए यहाँ जरुर आते हैं|
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हर्षद माता मंदिर
Chand Bawdi के पास स्थित है पूर्वाभिमुख महामेरु शैली में बना हर्षद माता मंदिर, जिसे राजा चाँद ने ही बनवाया था| बावड़ी के साथ साथ इस मंदिर की सबसे खास बात है इनकी दीवारों पर की गयी 33 करोड़ देवी-देवताओं की शानदार नक्काशी की गयी है, जो की भारतीय शिल्पकारों का उत्कृष्ट उदहारण प्रदर्शित करते है| मंदिर में कई देवी देवताओं की मूर्तियां है| जिसकी वजह से यहाँ श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है|
अब Chand Bawdi और हर्षद माता मदिर दोनों ही भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अधीन है, जिनकी वजह से यहाँ आने वाले पर्यटकों को बावड़ी और मंदिर की ऐतिहासिक जानकारियों को लिखे हुए बोर्डो द्वारा अवगत कराते है| जो भी हो दोस्तों भारत सच में अप्रतिम संरचनाओं से लैस है, हमने तो अब तक कुछ भी नहीं देखा|
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