Tulsi Vivah – आखिर कौन है तुलसी ? क्यों होता है इनका शालिग्राम से विवाह

Tulsi Vivah – आखिर कौन है तुलसी ? क्यों होता है इनका शालिग्राम से विवाह

भगवान श्रीहरि विष्णु के शालीग्राम बनने के पीछे क्या है वजह और आखिर क्यों भगवान विष्णु को तुलसी से विवाह करना पड़ा ? मंगल का आशीर्वाद देने वाली माता तुलसी की उत्पत्ति कैसे हुई ? आइए जानते हैं Tulsi Vivah की इस कथा में |

Tulsi Vivah
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पौराणिक कथाओं के समुद्र मंथन के दौरान जालंधर नामक एक राक्षस की उत्पत्ति हुई थी, वह एक बहुत शक्तिशाली राक्षस था| देवी-देवता उसके आतंक से बहुत परेशान रहते थे | उसकी पत्नी वृंदा पतिव्रता स्त्री थी और भगवान विष्णु की परम भक्त थी |

वृंदा की पूजा पाठ के प्रभाव से जालंधर को युद्ध में कोई हरा नहीं पाता था | वृंदा की भक्ति के कारण जालंधर हर लड़ाई में हमेशा विजय होता | उपद्रवी जालंधर ने एक दिन स्वर्गलोक पर हमला कर दिया | सभी देवता परेशान होकर भगवान विष्णु की शरण में गए और इसका समाधान निकालने का आग्रह किया |

Tulsi Vivah
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श्रीहरि ये जानते थे कि वृंदा की सतित्व भंग किए बिना जालंधर को परास्त करना असंभव है | भगवान विष्णु ने जालंधर का रूप धारण कर लिया और वृंदा का पतिव्रता धर्म तोड़ दिया | उस समय जालंधर देवताओं के साथ युद्ध कर रहा था |

वृंदा का पतिव्रता धर्म नष्ट होते ही जालंधर की सारी शक्तियां खत्म हो गईं और वह युद्ध में मारा गया | वृंदा को
जब इस बात का पता चला तो उसने क्रोधित होकर श्रीहरि को श्राप दे दिया कि ”जिस तरह आपने छल से मुझे पति वियोग का कष्ट दिया है |

Tulsi Vivah
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उसी तरह आपकी पत्नी का भी छलपूर्वक हरण होगा | साथ ही आप पत्थर के हो जाओगे | यही पत्थर शालीग्राम कहलाया | कहा जाता है कि वृंदा के श्राप के चलते भगवान विष्‍णु ने अयोध्‍या में राजा दशरथ के पुत्र श्री राम के रूप में जन्‍म लिया और बाद में उन्‍हें अपनी पत्नी सीता के वियोग का भी कष्‍ट सहना पड़ा |

वृंदा अपने पति जालंधर की मृत्यु को सहन नहीं कर पाई और सती हो गई. कहा जाता हैं कि वृंदा की अस्थि राख से एक पौधा निकला जिसे भगवान विष्णु ने तुलसी का नाम दिया | श्रीहरि ने घोषणा की कि ”तुलसी के बिना मैं प्रसाद ग्रहण नहीं करूंगा |

Tulsi Vivah
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मेरा विवाह शालीग्राम रूप से तुलसी के साथ होगा | आने वाले समय में इस तिथि को लोग तुलसी विवाह के नाम से जानेंगे |” कहते हैं कि जो भी शालीग्राम और Tulsi Vivah कराता है उसका वैवाहिक जीवन खुशियों से भर जाता है | साथ ही उसे कन्यादान करने के समान पुण्य मिलता है |

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