December 4, 2023

Vinayaki Devi Avtar – आखिर क्यों लिया गणेशजी ने स्त्री अवतार

शायद बहुत कम लोग भगवान गणेश जी के इस स्त्री रूप के बारे में जानते होंगे जिसके बारे में आज हम आपको बताने जा रहे है| भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र भगवान गणेश के इस स्त्री रूप का वर्णन पुराणों में किया गया है, जिसे हम विनायकी के नाम से जानते है|

Vianayaki Devi Avtar

Vinayaki Devi Avtar

भारत के तमिनाडु राज्य में थालुमलायन नामक 1300 साल पुराना एक मंदिर है, ब्रह्मा – विष्णु – महेश के लिए बने इस मंदिर में 33 पूजा स्थान है| इस मंदिर में दर्शन करने के लिए पहुंचे लोग एक प्रतिमा को देखकर ठहर से जाते है, बस देखते ही रह जाते है|

Vianayaki Devi Avtar

आखिर इस प्रतिमा में ऐसा क्या है, जो कोमल काया से पालती मारकर बैठी हुई है, जो आभूषणों से सजी हुई है| जिनके चार हाथों में अस्त्र शास्त्र भी है| इस प्रतिमा का हाथी जैसा शरीर देखकर लोग पहचान तो जाते है कि ये गणेश जी है, लेकिन ध्यान से देखने पर पता चलता है कि ये एक देवी की प्रतिमा है| इसी स्वरुप को भगवान गणेश का स्त्री रूप विनायकी कहते है|

 

पुराणों में एक धर्मोत्तर पुराण में भगवान गणेश के इस विनायकी रूप का वर्णन किया गया है| इसके अलावा मत्स्य पुराण में भी भगवान गणेश के इसी स्त्री रूप का वर्णन प्राप्त होता है| केवल इतना ही नहीं वन दुर्गा उपनिषद में भी भगवान गणेश के स्त्री रूप का उल्लेख दर्ज है, जिसे गणेश्वरी नाम दिया गया है|

Vianayaki Devi Avtar

किस कारण लिया भगवान गणेश ने विनायकी का रूप

भगवान गणेश को आखिर क्यों Vinayaki Devi Avtar धारण करना पढ़ा इसके पीछे भी एक कहानी है, जो काफी रोचक है|
यह कहानी माता पार्वती और अंधक नामक एक राक्षस से जुडी हुई है| कथा के अनुसार अंधक नामक एक राक्षस माता पार्वती को अपनी अर्धांगिनी बनाना चाहता था|

अपनी इस इच्छा को पूरा करने के लिए इस राक्षस ने माता पार्वती को जबरदस्ती अपनी पत्नी बनाने की कोशिश की और अपने साथ ले जाने लगा, मगर माता पार्वती ने अपनी मदद के लिए भगवान शिव को पुकारा|

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अपनी पत्नी की रक्षा हेतु भगवान शिव ने अपना त्रिशूल अंधक राक्षस के आर पार कर दिया| लेकिन वह राक्षस मरा नहीं, बल्कि त्रिशूल लगने के कारण जब उसके रक्त की एक एक बून्द धरती पर गिरने लगी तो हर बून्द से अंधिका नामक राक्षसनी का जन्म होता जा रहा था| ऐसे में भगवान को लगा कि अगर इस राक्षस को हमेशा के लिए ख़त्म करना है तो इसके शरीर से गिर रही एक एक बून्द को जमीन पर गिरने से रोकना होगा|

Vianayaki Devi Avtar

माता पार्वती को ये बात समझ आ गयी, वो जानती थी कि हर देवीय शक्ति के दो तत्व होते है| पहला होता है पुरुष तत्व जो उसे मानसिक रूप से सक्षम बनाता है और दूसरा स्त्री तत्व जो उसे शक्ति प्रदान करता है| इस कारण माता पार्वती ने अपने 9 रूप और सभी देवताओं का आह्वाहन किया|

माता पार्वती ने सभी देवताओं से शक्ति रूप लेने की प्राथना की| माता के आग्रह पर भगवान शिव ने शिवानी, भगवान ब्रह्मा ने ब्राह्मी और भगवान नारायण ने नारायणी का रूप धारण कर अंधक राक्षस से युद्ध किया|

सभी देवों के स्त्री रूप राक्षस अंधक को हारने में असफल रहे| इसके बाद भगवान गणेश ने विनायकी अवतार लिया और अंधक के शरीर को बाँध कर उसके शरीर का सारा खून अपनी सूंड से खींच लिया| इसी के साथ राक्षस अंधक के साथ उसके स्त्री स्वरुप अंधिका का अंत हो गया|

Vinayaki Devi Avtar

अंधक राक्षस था शिव – पार्वती का पुत्र

कथानुसार एक समय जब शिव-पार्वती धूमते हुए काशी पहुंचे, वहां भगवान शिव पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठे हुए थे, तभी माता पार्वती ने पीछे से आकर अपने हाथों से भोलेनाथ की आँखें बंद कर दी| ऐसा करने से एक पल के लिए पूरे संसार में अँधेरा छा गया| दुनिया को अंधकार से बचाने के लिए भगवान शिव ने अपनी तीसरी आँख खोल दी, जिससे संसार में फिर से रोशनी हो गयी|

मगर इसकी गर्मी से माता पार्वती को पसीना आ गया| उसी पसीने की कुछ बूंदों से एक बालक प्रकट हुआ| बालक को देखते ही माता पार्वती ने भगवान शिव से उस बालक की उत्पत्ति के बारे में पूछा| भगवान शिव ने पसीने से उत्पन्न उस बालक को अपना पुत्र बताया| अंधकार में जन्म लेने के कारण वह बालक अँधा था इसीलिए उसका नाम अंधक रखा गया|

कुछ समय बाद जब दैत्य हिरणाक्ष्य ने पुत्र प्राप्ति का वर माँगा तो भगवान शिव ने अंधक को उसे पुत्र रूप में दे दिया| अंधक असुरों के बीच ही पला बढ़ा और आगे चलकर असुरों को राजा भी बना| अंधक ने तपस्या करके भगवान ब्रह्मा से यह वरदान मांग लिया कि वो तभी मरे जब गलत नज़रों से अपनी माँ की ओर देखें, उसने ये सोचा कि ऐसा कभी होगा ही नहीं क्यूंकि उसकी कोई माँ है ही नहीं| वरदान मिलने के बाद अंधक देवताओं को हराकर तीनो लोकों का राजा भी बन गया|

सबकुछ हासिल करने के बाद उसने सोचा कि अब तीनों लोकों में सबसे सुन्दर स्त्री से शादी करनी चाहिए| और फिर क्या था अंधक शादी की इच्छा लेकर माता पार्वती के पास चला गया|

Vianayaki Devi Avtar

भारत में अलग अलग राज्यों में विनायकी की पूजा की जाती है, तमिलनाडु के कन्याकुमारी में 1300 साल पुराना मंदिर थानुमलायन है, जहाँ पर भगवान गणेश की विनायकी प्रतिमा विराजित है| तिब्बत में गणेश जी की गणेशानी देवी के नाम से स्त्री रूप में पूजा की जाती है| उड़ीसा के हीरापुर में भी देवी विनायकी की पूजा की जाती है| राजस्थान के रैरह में तो पांचवी शताब्दी से भी पहले से देव विनायकी की पूजा की जाती है|

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