Easter Island – इस जगह के रहस्य से वैज्ञानिक आज भी है हैरान
वैसे तो आपने कई ऐसी रहस्यमयी जगहों के बारे में पढ़ा और सुना होगा जिसके रहस्यों से पर्दा उठाने में पूरे विश्व के कई वैज्ञानिकों ने कई कोशिशें की है| इनमें से कुछ सुलझा लिए गए मगर कुछ रहस्य ऐसे है जो वैज्ञानिकों के लिए और भी नये-नये सवाल खड़े कर देते है| आज हम आपको ऐसे ही एक रहस्यमयी जगह Easter Island के बारे में बताने जा रहे है|
Easter Island (ईस्टर आइलैंड)
दक्षिण पेसिफिक सागर में स्थित यह आइलैंड चिली नामक देश के एक छोटा सा द्वीप है| यह द्वीप चिली से करीब ३६८६ किलोमीटर की दूरी पर है| ६३.२ स्क्वायर मीटर का यह द्वीप कभी तीन सक्रीय ज्वालामुखियों का घर हुआ करता था| आज यह ज्वालामुखी निष्क्रिय हो चुके है|
बता दें कि इन ज्वालामुखियों के लावा से बनने वाले पत्थरों से इन मूर्तियों को बनाया गया है| इस आइलैंड पर कई रहस्यमयी मूर्तियां लगभग १०० टन वजनी और ३०-४० फ़ीट तक लंबी है| यह मूर्तियां उन्ही ज्वालामुखी पर्वतों के पास बनाने के बाद टापू के अलग-अलग हिस्सों में ले जाया गया था|
इन मूर्तियों की सबसे ख़ास बात यह है कि ये सारी मूर्तियां देखने में लगभग एक ही जैसी दिखाई देती है| इन्हें देखकर ऐसा प्रतीत होता है जैसे इन्हें एक ही सांचे में डालकर बनाया गया हो|
करीब ७५०० की आबादी वाले इस Easter Island पर पायी गयी इन मूर्तियों से जुड़े रहस्यों को वैज्ञानिकों की तरफ से सुलझाने का दावा किया गया है, मगर कुछ सवाल ऐसे भी है जो वैज्ञानिकों की समझ के भी परे है|
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१७२२ ईस्वी में जब इस आइलैंड की खोज हुई थी तब इस आइलैंड पर मौजूद इन मूर्तियों ने हर किसी को हैरानी में डाल दिया था| सब सोच में पड़ गए थे कि केवल सर वाली इन मूर्तियों बनाने का कारण क्या था और इन्हें आखिर क्यों बनाया गया था? मगर खुदाई के दौरान यह पता चला कि इन मूर्तियों का पूरा शरीर जमीन के नीचे धंसा हुआ है|
Easter Island पर रहने वाले सबसे पहले रहिवाशी रापानूई जनजाति के लोग थे| अब तक इस आइलैंड पर करीब १००० मूर्तियां पायी गयी है| अजीब बात यह है कि मोआई कहे जाने वाली यह मूर्तियां समुद्र की तरफ पीठ करके रखी गयी है| इन मूर्तियों की औसतन लंबाई करीब १३ फ़ीट और वजन करीब १३-१४ टन तक है| इन मूर्तियों में सबसे बड़ी मूर्ती की ऊंचाई करीब ३२ फ़ीट और वजन करीब ८० टन तक है| इस टापू पर करीब १०० से भी ज्यादा ऐसी मूर्तियां है जिनका काम अधूरा छोड़ दिया गया था|
इन वजनी मूर्तियों को एक जगह से दूसरी जगह पर ले जाने को लेकर वैज्ञानिकों ने कई रिसर्च किये है जिनमें से कुछ कामयाब भी रहे है ऐसा कहा जा सकता है| मगर असलियत में इन मूर्तियों को एक जगह से दूसरी जगह कैसे जाया जाता होगा ये आज भी एक सवाल है| इतनी वजनी मूर्तियों को बनाने वाले रापानूई जनजाति के लोगों का क्या हुआ होगा? वे लोग कहां विलुप्त हो गए? बिना किसी आधुनिक तकनीक के इन मूर्तियों को जमीन में इतने नीचे कैसे दबाया गया? इन सारे सवालों ने आज भी वैज्ञानिकों को सिर खुजलाने पर मजबूर दिया है|
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